

An edition of कैवल्य दर्शनम || Kaivalya darshanam hindi || the holy science hindi (2007)
By Shree shree yuktrshwar
Publish Date
2007
Publisher
Yss
Language
-
Pages
-
Description:
परमहंस योगानंद जी केवल दर्शनम के लिए लिखे अपने दो शब्दों में लिखते हैं सभी देशों के और सभी युगों के सद्गुरु अपने ईश्वर अनुसंधान में सफल हुए हैं निर्विकल्प समाधि की अवस्था में पहुंचकर इन संतों ने समस्त नाम रूपों के पीछे विद्यमान अंतिम सत्य को अनुभव किया ।उनके ज्ञान और आध्यात्मिक उपदेशों के संकलन संसार के धर्मशास्त्र बन गए शब्दों के बहू वर्णीय आवरण के साथ यह एक दूसरे के भिन्न प्रतीत होते हैं परंतु सभी परमत्व के अभिन्न मूल भूत शक्तियों को ही शब्दों में प्रकट करते हैं कहीं खुले और कहीं गूढ़ प्रतीकात्मक रूप से। स्वामी श्री युक्तेश्वर सनातन धर्म के और ईसाई धर्म के शास्त्रों में निहित एकता को समझने के लिए विशेष रूप से सरवटे परियाेग्य थे अपने मां के स्वच्छ टेबल पर इन शास्त्रों के पवित्र वचनों को रखकर अंतर ज्ञान मूलक तर्क बुद्धि की छोरी से वह उनकी चीर फाड़ कर सकते थे और इस प्रकार शास्त्र कर गुरुओं द्वारा व्यक्त किए गए साथियों को पंडित द्वारा अंतरविश्त किए गए भजनों से और उनकी गलत व्याख्याओं से अलग कर सकते थे स्वामी श्री युक्तेश्वर मानव एवं ब्रह्मांड के पूर्ण प्रयास सर्वांगीण दृष्टिकोण के लिए एक ठोस आधार प्रस्तुत करते हैं और यह भी दर्शाते हैं कि वह दृष्टिकोण कैसे शरीर मन एवं आत्मा से प्राकृतिक जीवन जीने के तत्वों को बल प्रदान करता है धर्म के गहनतम शक्तियों में स्थित होते हुए भी यह दृष्टिकोण मानवीय चेतना के विस्तृत को नियंत्रित करने वाली शक्ति शारीरिक मानसिक नैतिक तथा आध्यात्मिक नियमों की स्पष्ट व्याख्या करके दैनंदिन जीवन में पूर्णता प्राप्त करने के लिए व्यावहारिक उपदेश प्रस्तुत करता है।
subjects: spritual books, Spritual life, Spirituality, Yoga, holy science, God (Christianity), God, God (Hinduism), kaivalya, darshanam, Yuktrshwar, yss
People: Swami Yukteswar (1855-1936), Yogananda Paramahansa (1893-1952)
Places: India, Himalaya Mountains
Times: 2007-2021